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Showing posts from December, 2019

विशाल पर्वत और छोटी गिलहरी

http://bit.ly/2LKX1KD विशाल पर्वत और छोटी गिलहरी  एक दिन एक गिलहरी एक पर्वत के पास खुशी से चहकते हुए खेल रही थी। पर्वत की नजर उस पर पड़ी तो उसने मन में सोचा इस गिलहरी का छोटा-सा शरीर किसी भी काम का नहीं है फिर भी यह इतनी खुश कैसे रहती है?' पर्वत ने गिलहरी को बुलाया और बोला, "कितनी छोटी हो तुम! किसी भी काम की नहीं हो। तुम्हें अपने छोटेपन पर हीनभावना महसूस नहीं होती? मेरे सामने तो तुम्हारा कोई अस्तित्व ही नहीं है।" पर्वत के शब्द सुनकर गिलहरी को बहुत आश्चर्य हुआ। फिर भी वह विनम्रता से बोली, " आपका कहना सही है कि मैं आप की तरह बहुत बड़ी नहीं हूँ। परंतु इसमें नुकसान ही क्या है? मैं अपने आकार से बहुत संतुष्ट हूँ। अपना हर काम अकेले करने की क्षमता रखती हूँ। इसलिए मुझे अपने छोटे शरीर को लेकर कभी हीनभावना महसूस नहीं होती। मैं जैसी हूँ, अच्छी हूँ और फिर सभी तो आप की तरह बड़े नहीं हैं। सभी का अपना-अपना आकार-प्रकार है।" पर्वत घमंडपूर्वक बोला, "अरे! बड़े आकार के बहुत लाभ होते हैं। मैं आसमान में उड़ते बादलों को रोक सकता हूँ, उनसे वर्षा करवा सकता हूँ और तुम तो बस उन्ह...

India vs Germany | Education System Analysis by Dhruv Rathee

https://youtu.be/JTBqYKvy0CU https://youtu.be/JTBqYKvy0CU

कारक

https://www.youtube.com/watch?v=nT02BDXeCoI व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है। कारक यह इंगित करता है कि वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का काम क्या है। कर्ता कारक जिस रूप से क्रिया (कार्य) के करने वाले का बोध होता है वह ‘कर्ता’ कारक कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘ने’ है। राम ने रावण को मारा। वाक्य में क्रिया का कर्ता राम है। इसमें ‘ने’ कर्ता कारक का विभक्ति-चिह्न है। 2. कर्म कारक- क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है, वह कर्म कारक कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘को’ है। मोहन ने साँप को मारा। पहले वाक्य में ‘मारने’ की क्रिया का फल साँप पर पड़ा है। अतः साँप कर्म कारक है। इसके साथ परसर्ग ‘को’ लगा है। 3. करण कारक- संज्ञा आदि शब्दों के जिस रूप से क्रिया के करने के साधन का बोध हो अर्थात् जिसकी सहायता से कार्य संपन्न हो वह करण कारक कहलाता है। इसके विभक्ति-चिह्न ‘से’ के ‘द्वारा’ है। अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा। वाक्य में कर्ता अर्जुन ने मारने का कार्य ‘बाण’ से किया। अतः ‘बाण से’ करण कारक हैl

शेर और भेड़िया कहानी

शेर और भेड़िया निम्नलिखित कहानी को पढ़कर उत्तर लिखिए।   एक जंगल में एक भेड़िया रहता था। एक दिन वह भूखा था। इसलिए शिकार की खोज में जहाँ-तहाँ भटक रहा था। भटकते-भटकते वह एक ऐसे मैदान के पास पहुंचा , जहाँ बहुत-सी भेड़ें घास चर रही थीं। भेड़ों को देखकर भेड़िये के मुँह में पानी आ गया और वह एक झाड़ी में छिप कर किसी भेड़ या मेमने के वहाँ आने की प्रतीक्षा करने लगा। उसे पूरी आशा थी कि कोई न कोई भेड़ उधर जरूर आएगी। थोड़ी ही देर में एक मेमना घास चरते हुए अपने झुण्ड से अलग होकर उसी झाड़ी के पास पहुंच गया , जहाँ भेड़िया छिपा बैठा था। भेड़िये ने तुरन्त मेमने को अपने मुंह में दबोच लिया। अब भेड़िये के मन में विचार आया कि क्यों न मेमने को ऐसे स्थान पर जाकर खाया जाए , जहाँ कोई अन्य जानवर ना आता हो। ताकि भोजन   शांति के साथ किया जा सके।   दुर्भाग्यवश रास्ते में उसे एक शेर मिला जो स्वयं भी शिकार की खोज में था। भेड़िये के मुँह में मेमना देखकर शेर जोर से गुर्राया और बोला , " जहाँ खड़े हो वहीं रुक जाओ , एक कदम भी आगे मत बढ़ाना। " मडिया डर के मारे बुत बनकर वहीं खड़ा हो गया और उसके मुँह स...

लुई ब्रेल गद्यांश को पढ़कर उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर लिखिए। लुई ब्रेल का जन्म पेरिस के निकट एक कस्बे में 4 जनवरी , 1809 को हुआ था। बाल्यावस्था में पिता की कार्यशाला के एक नुकीले औजार से आँख में चोट लग जाने के कारण उनकी दृष्टि सदा के लिए जाती रही। पर लुई ने हार नहीं मानी। उसके पिता ने उसके लिए एक पतली छड़ी बना दी। इसके सहारे वह अपना रास्ता खोजने लगा।   सन् 1819 में वह पेरिस के एक स्कल में पढ़ने के लिए गया। यह ब्लाइंड स्कूल था। यहाँ पर पढ़ाई करते हुए उसने चमड़े की चप्पलें बनाने तथा कुर्सी बुनने का काम सीखा। शाम के समय लुई पियानो बजाता था।वहीं रहकर लई ने 15 वर्ष की आयु में इस क्रांतिकारी लिपि का आविष्कार कर दिखाया।    1. लुई ब्रेल का जन्म कहाँ हुआ था ? 2. उनकी दृष्टि शक्ति कैसे चली गई ? 3. वह अपना रास्ता कैसे ढूँढते थे ? 4. वह जन्म के कितने साल के बाद पढ़ने के लिए गए ? 5. उन्होंने उस स्कूल में क्या सीखा ? 6. वह शाम को क्या करते थे ? 7. उन्होंने जिस लिपि का आविष्कार किया उसका नाम क्या है ? 8. लुई ब्रेल के पिता ने उसकी कैसे सहायता की ?

मेहनती चींटी कहानी

मेहनती चींटी   निम्नलिखित कहानी को पढ़कर उत्तर लिखो। गर्मियों के दिन थे। एक चींटी अनाज के दाने उठा-उठाकर अपनी बिल में जमा कर रही थी। वह सर्दियों के लिए अपना भोजन इकट्ठा कर रही थी। पास में ही एक टिड्डा , एक छोटे से पौधे पर बैठा हुआ मस्ती में गा रहा था। अचानक टिडडे की नजर चींटी पर पड़ी तो वह बोला , “ तुम इतनी तेज गर्मी में इतनी मेहनत क्यों कर रही हो ? आओ , थोड़ी मौज मस्ती कर लो। " चींटी बोली , “ धन्यवाद , टिड्डे भाई। मैं जरा-सा भी समय बरबाद नहीं कर सकती। मैं सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा कर रही हूँ। मैं अगर आज यह काम छोड़ दूँगी तो सर्दियों में भूखी मर जाऊँगी। " टिड्डे ने व्यंग्य कसते हुए कहा , " मुझे तुम पर दया आ रही है। तुम्हारे दिल में मौज मस्ती की कोई महत्ता ही नहीं है। वैसे भी अभी सर्दियाँ आने में बहुत समय है और कल किसने देखा है ? तुम कल की चिंता में अपना आज बरबाद कर रही हो। " चींटी ने टिड्डे की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और वह अपना काम करती रही। चींटी ने कठिन मेहनत से सर्दियों के लिए काफी सारा भोजन इकट्ठा कर लिया था। जबकि टिड्डा यूँ ही मौज-मस्ती करता र...

बुरी संगत कहानी

बुरी संगत   निम्नलिखित कहानी को पढ़कर उत्तर लिखो। एक समय की बात है , एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक छोटा सा खेत था। अपने खेत पर वह कड़ी मेहनत करके बहुत अच्छी फसल उगाता था। परन्तु कछ समय से उसे एक कौवे ने बहुत परेशान कर रखा था। वह कौवा किसान   के खेत के निकट ही एक पेड़ पर रहता था। जब फसल पककर तैयार हो हो जाती तो वह कौवा अपने सभी साथियों को बुलाकर फसल पर धावा बोल देता था फसल को बहुत नुकसान पहुँचाता था। बहुत सोच-विचार करने पर किसान ने इस परेशानी से छुटकारा पाने का एक उपाय ढूंढ निकाला। एक रात किसान ने अपने खेत में जाल बिछा दिया और जाल के ऊपर अनाज के बहुत सारे दाने फैला दिए। पौ फटने पर जैसे ही कौवे की नजर अनाज के दानों पर पडी , तो उसने अपने सभी साथियों को अनाज पर धावा बोलने के लिए पुकारा। थोड़ी ही देर में खेत में बहुत सारे कौवे अनाज चुगने के लिए उतर आए।   दुर्भाग्य से एक कबूतर भी उन कौवों के साथ खेत में अनाज चुगने आ गया और उन सभी कौवों के साथ किसान के बुछाए   जाल में फंस गया। शाम को जब किसान खेत पर आया तो उस   उन सारे कौवों को जाल मेें फंसा देखक...